Justice for tigress killed in Bhandavgarh and her cubs in India
Justice for tigress killed in Bhandavgarh and her cubs in India
Why this petition matters
Field Visit to Bandhavgarh Tiger Reserve regarding recent tigress mortality-Naresh Kadyan
बांधवगढ़ राष्ट्रीय पार्क में बुधवार को हुई बाघिन की मौत पर अभी भी रहस्य बना हुआ है। घटना के तीसरे दिन भी प्रबंधन कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं है। शक- सुबह के इस दौर में अलग-अलग कहानियां गढ़ी जाने लगी हैं। बाघिन की मौत पर बने रहस्य से पर्दा कब उठेगा, अभी भविष्य के गर्भ में है। फिलहाल फोरेंसिक विशेषज्ञ डा.सीबी सिंह विभागीय वाहन और पर्यटकों के वाहनों की जांच में जुट गए हैं।
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बांधवगढ़ रार्ष्ट्रीय उद्यान में बुधवार की सुबह हुई बाघिन की मौत से विभागीय अधिकारी हलाकान हैं, क्योंकि उसकी मौत किस गाड़ी के टकराने से हुई, यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। अलबत्ता घटना को लेकर कहानियां गढ़ी जाने लगी हैं। कुटप्पन महावत के लड़के बबलू ने रेंजर जेएन शुक्ला को सूचना दी कि झुरझुरा डेम में घायल बाघ बैठा है, जो पर्यटक के वाहनों को चार्ज कर रहा है। सूचना मिलते ही रेंजर श्री शुक्ला वहां पहुंचे और उसके साथ ही कहानियाें का सिलसिला शुरू हो गया। प्रबंधन से जुड़े कर्मचारियों द्वारा पहले यह कहा जाने लगा कि झुरझुरा एरिया का बाघ और भोखा शेर के बीच झगड़ा हुआ, जिसमें झुरझुरा एरिया का बाघ घायल हो गया है। घायल होने के कारण वह वाहनों को चार्ज कर रहा है। इस दौरान घटना स्थल पर उपस्थित रेंजर जेएन शुक्ला ने पर्यटकों के लिए रूट बंद कर दिया। रेंजर शुक्ला जब घटना स्थल पर पहुंचे और महावत को वहां बुलाया तो पता लगा कि घायल बाघ नहीं, बाघिन है। घायल बाघिन डेम के पानी में बैठी हुई थी। बाघिन पर नजर रखने के लिए हाथियों को वहां बुला लिया गया। इस बीच ताला सेंचुरी के अपर संचालक आरपी पांडेय वहां पहुंचे। उन्होंने बाघिन के उपचार के लिए एक डाक्टर को सूचित कर उसे बुलवाया। इस बीच पनपथा के एसडीओ डीसी घोरमारे अपनी बंद जीप को लेकर वहां पहुंच गए। सूत्रों का कहना है कि जब घोरमारे के वाहन पर घायल बाघिन ने चार्ज किया तो वह जीप बैक कर भागने की कोशिश की। बैक करते वक्त श्री घोरमारे की जीप एक मचान से टकराई और वह गिर पड़ी। बताया जाता है कि मचान घायल बाघिन के ऊपर गिरी। इस बीच चोटिल बाघिन मचान से निकलकर डेम में चली गई। जब बाघिन काफी देर तक पानी से बाहर नहीं निकली, तब ताला सेंचुरी के अपर संचालक श्री पांडेय ने हाथी के महावत को बुलाया। महावत ने बांस डालकर पता लगाया तो बाघिन की मौत की पुष्टि हुई। बाघिन की मौत होने पर पहले किंग्स लाज की जीप की टक्कर लगने से बाघिन की मौत की कहानी गढ़ी गई। जब किंग्स लाज की जीप से टक्कर लगने की पुष्टि नहीं हुई तो फिर एक और कहानी सुनाई देने लगी कि अपर संचालक आरपी पांडेय की जीप की टक्कर लगने से बाघिन की मौत हुई है। स्वयं के संदेह के घेरे में आने के बाद श्री पांडेय ने बांधवगढ़ पार्क के संचालक सीके पाटिल को लिखित में आवेदन देकर उनके वाहन का फोरेंसिक विशेषज्ञ से जांच कराने का आग्रह किया। इसके लिए शहडोल के फोरेंसिक विशेषज्ञ डा. सीबी सिंह को बुलाया गया। डा.सिंह ने जांच में श्री पांडेय को क्लीन चिट दे दी। अब पर्यटकों को झुरझुरा डेम तक ले जाने वाली 11 वाहनों की जांच की बारी है। कल से फोरेंसिक विशेषज्ञ श्री सिंह पर्यटकों के वाहनों की जांच करेंगे। उधर प्रबंधन सूत्रों का कहना है कि मंगलवार रात में ही बाघिन को जीप से टक्कर मारी गई होगी। बाघिन रात से घायल थी, जिसकी दूसरे दिन बुधवार सुबह 9 बजे के लगभग मौत हो गई। फिलहाल बाघिन की मौत पर रहस्य बना हुआ है। बांधवगढ़ में इसके पहले सीता नाम की एक बाघिन की मौत हुई थी, जिसकी मौत पर बने रहस्य का खुलासा आज तक नहीं हो पाया।
Tigress death: MP orders CID probe
Bandhavgarh resort sealed by dist admn
वाकई यह एक दुखद घटना है। बांधवगढ़ में एक 20 माह की बाघिन की मौत हो गई। कुछ दिनों पहले वह लंगड़ाती हुई दिखी थी, लेकिन कल तालाब के पास मृत पाई गई। बाघों की जान को वैसे भी खतरा है और उनकी संख्या तेजी से घटती जा रही है, ऐसे में इस बाघिन की मौत से लोगों में गुस्सा स्वाभाविक है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर यही कहा जा रहा है कि, वहीं, किसी अन्य बाघिन के साथ लड़ाई के दौरान वह घायल हुई, लेकिन जिस बात पर ज्यादा भरोसा किया जा सकता है वह यह है कि पार्क के अंदर लापरवाही से चलाई जा रही जीप से उसे टक्कर लगी। ऐसा शक है कि यह लापरवाह ड्राइवर कोई और नहीं, बल्कि राज्य सरकार के एक मंत्री का बेटा है। खैर, चाहे जो भी हो, दुखद सचाई तो यही है कि एक बेहद ही खूबसूरत जानवर की मौत हो गई और और उससे भी दुखद बात यह है कि यह घटना उस जगह घटी है, जिसे बाघों के लिए देश की सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है। मेरे पास बांधवगढ़ की कुछ बेहतरीन यादें भी हैं। बाघों के लिए मशहूर इस जगह पर मैं बस दो महीने पहले ही गया था और उस फॉरेस्ट गार्ड चंदरभान सिंह की अविश्वसनीय कहानी ‘एक मां, उसके बच्चे और कुछ जंगली इंसान’ आपको सुनाई भी थी। उस पोस्ट में मैंने यह भी स्पष्ट किया था कि वहां के अधिकारी कितने प्रफ़ेशनल तरीके से पार्क की देखभाल में जुटे हैं, जहां कहीं भी कोई प्लास्टिक का सामान या पॉलिथीन लाना और ले जाना सख्त मना था और पार्क डायरेक्टरों के लिए भी कोई वीआईपी नियम-कानून नहीं। लेकिन, इस मौत के लिए यदि मंत्री का बेटा जिम्मेदार है और यह रिपोर्ट सही है तो इसने मेरे उस विश्वास को आघात पहुंचाया है कि एक अच्छे व्यक्ति से बहुत फर्क पड़ता है। माफी चाहता हूं। लेकिन एक अकेला आदमी कोई भी बदलाव नहीं ला सकता। बल्कि, यदि आप इसके रास्ते में आना चाहेंगे तो यह बेकार सिस्टम आप पर ही हावी हो जाएगा। दुखी मन यही कह रहा है कि शायद वह डायरेक्टर, जिनके लिए मेरे मन में इतनी इज्ज़त थी, उनका भी कुछ ऐसा ही हश्र हुआ हो। चलिए हम उस विशाल बिल्ली की मौत की खबर पर वापस आते हैं। चाहे आप जिस भी नजरिए से देखना चाहें, आप पाएंगे कि इंसानों के ही हाथ इस खून से रंगे हैं। अगर यह मौत गाड़ी से टक्कर लगने की वजह से हुई है तो इस मामले से इंसानों का डायरेक्ट संबंध है और यदि यह दो बाघिनों के बीच की लड़ाई की वजह से है तो भी वास्तव में दोषी इंसान ही हैं। सिर्फ बांधवगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देश में जहां भी ऐनिमल सैंच्युरीज़ हैं, खासकर वहां जहां विलुप्त होते जा रहे जानवरों का रहना है, वहां प्राइवेट बिल्डर्स रिज़ॉर्ट बनाने के चक्कर में लगे होते हैं और लोकल अथॉरिटीज़ पीछे से ऐसा करने की अनुमति भी दे देती है। इससे जानवरों के मूवमेंट पर असर पड़ता है, लेकिन इसे नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। मैंने यह आवाज़ अपनी पोस्ट 'राम और कमल की तकरार में मैं राम के साथ' में भी उठाई है। यह पोस्ट जयराम रमेश और कमलनाथ के बीच मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से गुजरते नैशनल हाईवे को चौड़ा करने को लेकर चल रही लड़ाई पर था। मैंने बांधवगढ़ के बारे में यह चर्चा भी की थी कि कैसे मेन जोन और बफर जोन के बीच तेजी से शहरीकरण बढ़ता जा रहा है। ताला गांव में कभी सिर्फ एक फॉरेस्ट गेस्ट हाउस और दो छोटे-छोटे होटेल हुआ करते थे। आजकल तो यहां बड़े-बड़े रिजॉर्ट्स बन गए हैं और खूब चहल-पहल रहती है। इसका मतलब यह है कि शहरीकरण जानवरों के उस रास्ते को काट रहा है, जहां वे मौज़-मस्ती करते रहे हैं। इसकी वजह से जानवरों की आवाजाही पर गंभीर असर हुआ है और वे खतरे की जद में आ गए हैं। अंतत: वे जो इन प्यारे जानवरों की वजह से पैसे कमाने की चाहत रखते हैं, उन्हें यह सोचने और सममझने की ज़रूरत है कि यदि जानवर ही जिंदा नहीं बचेंगे तो... और इससे आगे क्या कहा जाए। वे वीआईपी, जो यह सेचते हैं कि वे कानून से भी ऊपर हैं उन्हें सबक देने के लिए हमें कोर्ट के कुछ कठोर फैसलों की ज़रूरत है। नहीं तो वे फिर चाहे वे मंत्री के बेटे हों, सलमान खान या मंसूर अली पटौदी जैसे लोग हों, अपने शौक और रोमांच के लिए प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे।
Complaint has been lodged with the HE the President of India office and Grievance Registration Number is : PRSEC/E/2010/08216 dated 20-5-2010...PWD Minister of Madhya Pardesh Sh. Nagendra Singh Son is responsible for the death of the Tigress in Bandhavgarh National Park. He violated the law of the land and Police failed to lodge FIR ... against all offenders for the violation of the section 9 read with 51 of the Wild Life Protection Act, 1972 along with 428-429 IPC with 120-B, criminal conspiracy against wild animals or any relevant legislation's, where as the guardian of wild animals Chief Wild Life Warden failed to perform his official duties.
Notice issued as per section 55 of the Wild Life Protection Act, 1972 to the Chief Wild Life Warden of Madhya Pardesh...being an Master Trainer of the Animal Welfare Board of India and representative of the International Organisation for Animal Protection - OIPA in India.
Further investigations are going on, let us wait for conclusion.
Petition Closed
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Decision Makers
- Hon'ble Sardar Manmohan SinghPrime Minister of India, New Delhi
- Shri K.C. JainJoint Secretary (Coordination and Public Grievances)
- Shri Rahul GandhiGeneral Secretary, AICC
- Smt. Rina Mitra, IFSAdditional Director, Wildlife Crime Control Bureau
- Mr.B.S.Bonal, IFSMember Secretary , Central Zoo Authority of India, New Delhi